Not known Details About Shodashi
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥
ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥
श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra sharpens the intellect, boosts focus, and enhances mental clarity. read more This benefit is valuable for college kids, professionals, and those pursuing intellectual or Inventive objectives, mainly because it fosters a disciplined and concentrated method of jobs.
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥